Ram setu history | राम सेतु एक रहस्य

दोस्तों राम सेतु मूवी के बारे में आपलोग जरूर सुने होंगे और कई लोग तो देख के भी आ गए होंगे-

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दोस्तों राम सेतु मूवी - 25 oct 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई लेकिन इस मूवी को जितना उम्मीद किया जा रहा था उतना रिस्पॉन्स मिला नहीं।  इस मूवी की बजट 140 -150 cr रूपया था जो कि अभी तक मात्र 80cr (till date -3 Nov 2022)ही कमाया है।

मूवी के डायरेक्टर अभिषेक शर्मा जी है और इसके मुख्य किरदार अक्षय कुमार ,जैकलीन फर्नांडीस और नुशरत भरुचा है।

इस मूवी को IMBd में आउट ऑफ़ 10 में से  5.2 रेटिंग मिला है ।

यह मूवी भारतीय हिन्दी की एक्शन एडवेंचर फिल्म है - जो कि एक archaeologist का रोल अदा करते हैं जो रामसेतु की प्रकृति की जांच कर करते हैं, तो ये थी जानकारी इस मूवी के बारे में

राम सेतु  मूवी अभी चर्चे में क्यों है ?



क्योकि इस मूवी के रिलीज़ होने से पहले कई विवादों से गुजरना पड़ा था,दरअसल पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और अक्षय कुमार के बीच ये विवाद था, इस मूवी के रिलीज़ से पहले ही डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने वकील के जरिए इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की जानकारी के लिए अक्षय कुमार समेत फिल्म से जुड़े 8 लोगों को लीगल नोटिस भेजा था। दरअसल, स्वामी का आरोप था कि अक्षय की इस फिल्म में राम सेतु को लेकर गलत तथ्य दिखाए जा रहे हैं। और इस लीगल नोटिस के जवाब में, अक्षय कुमार की टीम ने रिप्लाई दिया था।

 

अब आईये जानते हैं राम सेतु के इतिहास के बारे में –

 

राम सेतु क्यों और कैसे बनाया गया था -

दरअसल राम सेतु का उल्लेख सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य "रामायण" में किया गया था, जिसमें भगवान श्री राम ने अपनी वानर सेना नल और नील नाम से रामायण में मिलता है जो कि लंका तक पहुंचने और रावण से अपनी पत्नी माता सीता को छुड़ाने के लिए इसका निर्माण कराया था।

राम सेतु कहाँ है और उसकी लम्बाई कितनी है -



राम सेतु , भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे तमिलनाडु राज्य के ,रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य इस सेतु को बनाया गया था जो कि इसकी लम्बाई 30 मील  यानि 48 KM थी।

इस्लाम धर्म में क्या मान्यता है -

हालाँकि इस्लाम धर्म में इसको एडम के पीक के रूप में श्रीलंका के एक पहाड़ का जिक्र किया जाता है और एक पुल के माध्यम से एडम को श्रीलंका से भारत के पार जाने के रूप में वर्णित किया है जिसको एडम ब्रिज के नाम से जाना जाता है।

इतिहासकार और पुरातत्वविदों की मान्यता –



 जब  कोरल और सिलिका पत्थर जब गरम होता है तो उसके  बीच में  हवा कैद हो जाती है जिससे वो हल्का हो जाता है और पानी में तैरने लगता है, साइंटिस्ट मानते हैं कि  ऐसे पत्थर को चुनकर ये पुल को बनाया गया।

अमेरिका के टीवी में भी साइंस चैनल ने तथ्यों के साथ ये दावा किया है कि भारत और श्रीलंका के बीच स्थित  रामसेतु- प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित है यानी इसे किसी इंसान ने बनाया था,अमेरिका के वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण भी मिले हैं कि रामसेतु के पत्थर करीब 7000 साल पुराने हैं। 


क्या राम सेतु आज भी है –

हाँ ये आज भी है परन्तु ये पहले जैसे नहीं है क्योकि इतिहासकारों की मानें तो साल 1480 में भयंकर तूफान ने इस  पुल को तोड़ दिया नहीं तो ये पुल, उससे पहले तक भारत और श्रीलंका के बीच लोग पैदल और वाहन के जरिए इस पुल का इस्तेमाल करते रहे थे,और समुद्र का जल स्तर बढ़ने से ये पुल पानी में डूबता जा रहा है।

क्या है सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट –

 सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट को 2005 में जब यूपीए सरकार थी तभी इस प्रोजेक्ट को एलान किया गया था , शुरू में इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 2500 करोड़ थी जिसे अब बढ़ा कर 4000 करोड़ कर  दिया है।

 इसके तहत बड़े जहाजों के आने-जाने के लिए लगभग  83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे। इसके जरिए जहाजों के आने-जाने में लगने वाला वक्त 30 घंटे तक कम हो जाएगा। इन चैनल्स में से एक राम सेतु से गुजरना था। अभी श्रीलंका और भारत के बीच इस रास्ते पर समुद्र की गहराई कम होने की वजह से जहाजों को लंबे रास्ते से जाना पड़ता है।

क्या है राम सेतु से जुड़ा विवाद -

यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान,जब 2005 में सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रॉजेक्‍ट की घोषणा हुई थी तो इस पर काफी विवाद हुआ क्‍योंकि इस प्रोजेक्ट के  लिए पुल की कुछ चट्टानों को तोड़ना पड़ता ताकि गहराई बढ़ता और जहाज वहां से गुजर सके। ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,अदालत ने 2007 में काम पर रोक लगा दी। 

इस प्रॉजेक्‍ट को  हिन्दुओं के ग्रुप के अलावा पर्यावरणविद और कुछ राजनीतिक दल भी विरोध करते रहे हैं। 2007 में ही ASI और यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि भगवान राम ने यह पुल बनाया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने इस प्रॉजेक्‍ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। 

 


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