दोस्तों जंतर मंतर (Jantar mantar) के बारे में शायद ही कोई हों जो इसके बारें में न सुने हों परन्तु आज हमलोग इससे जुड़े कुछ 10 ऐसे फैक्ट्स के बारे में जानेंगे जो शायद अब तक आपको पता ही नहीं था -
2.शायद आपको ये बात पता न हो but हमारे भारत में कुल 5 जंतर मंतर बनाए गए थे जो क्रमशः नई दिल्ली, जयपुर,उज्जैन,मथुरा,और वाराणसी में स्थित थे।
3.जंतर मंतर को 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में, जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वितीय के द्वारा बनाया गया था जो कि 1724 से लेकर 1735 तक बनकर तैयार हुआ था।
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4.जंतर-मंतर (Jantar mantar) एक खगोलीय वैधशाला है,जहाँ विभिन्न वास्तु और ज्योतिषीय उपकरण
हैं, जो कि दुनिया भर के इतिहासकारों, खगोलविदों और वास्तुकारों का ध्यान आकर्षित किया है।
5.सबसे पुराना जंतर मंतर (Jantar mantar) दिल्ली का है जो कि महाराजा जयसिंह द्वितीय ने सन् 1724 में निर्माण करवाया था।
6.जंतर मंतर को इसीलिए बनाया गया था कि जब मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दु और मुस्लिम खगोलशास्त्रियों में ग्रहों की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई थी क्योकि सबका अपना अलग अलग मत था ग्रहों को लेकर और इसे ही खत्म करने के लिए महाराजा जय सिंह द्वितीय ने जंतर-मंतर का निर्माण करवाया।
7.जयपुर के जंतर मंतर (Jantar mantar) को यूनेस्को ने 2010 में विश्व धरोहर स्थल यानि World Heritage Sites घोषित किया था. जंतर मंतर का निर्माण समय और अंतरिक्ष के स्टडी के लिए करवाया गया था।
8.यहां दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्यघड़ी है जिसे वृहत् सम्राट यंत्र कहते हैं. यह सूर्यघड़ी स्थानीय समय बताती है. ग्रहों की गति नापने के लिए यहां विभिन्न प्रकार के उपकरण भी लगे हुए हैं।
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9.देश की सभी पांच जंतर मंतर वेधशालाओं में से जयपुर की
वेधशाला सबसे बड़ी है।
10. यहां मुख्यतः चार प्रकार के यंत्र हैं -
सम्राट यंत्र
- यह सूर्य की सहायता से समय और ग्रहों की स्थिति की जानकारी देता है।
मिस्र यंत्र - यह एक ऐसा यंत्र है जो कि साल के सबसे छोटे और सबसे बड़े दिन के बारे में बताता है।
राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र - राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र खगोलीय पिंडों की गति के बारे में बताते हैं।
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