Mahasamund Laxman Mandir- हमारे देश में अब तक खोजे गए पुराने मंदिरों में से छत्तीसगढ़ का लक्ष्मण मंदिर सबसे अनोखा है, इसकी खास बात यह है कि यह लाल ईंटो से बना है जो कि यह छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सिरपुर में 1500 साल पुराना मंदिर स्थित है, सिरपुर महानदी के तट पर स्थित एक पुरातात्विक स्थल है ,जो कि प्राचीन समय में सिरपुर दक्षिण कोसल (वर्तमान छत्तीसगढ़) की राजधानी हुआ करता था।
सिरपुर का प्राचीन नाम श्रीपुर था। इस मंदिर को सोमवंश के द्वारा बनाया गया था।यह मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है। जो कि नागर शैली से बनाई गयी यह मंदिर अत्यन्त दुर्लभ और बेहतरीन डिजाईन से बनाया गया है।
लक्ष्मण मंदिर की बनावट की खासियत?
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 625 से 650 ईस्वी में निर्माण कराया गया था, जंगलों से ढके हुए इस मंदिर(LAXMAN MANDIR) की खोज 1872 में हुई थी. कई प्राकृतिक आपदाएं आये फिर भी ये मंदिर आज तक ज्यों का त्यों है। और यही वजह है कि इसकी बनावट को और खास बनाता है।
11वी, 12वी शताब्दी में भूकंप आया था और 14 शताब्दी में महानदी के बाढ़ से प्रलय आया था, इसके पीछे की कहानी इसकी निर्माण कार्य ही है, यह मंदिर लाल ईंटों से बनी है जो कि ईंटों के बीच में गैप नहीं है,इन ईंटों को जोड़ने के लिए कोई सीमेंट का प्रयोग नहीं बल्कि उड़द दाल, बबूल का गोंद, चुना, गुड़ और जंगली जड़ी-बूटियों को मिक्स कर बनाया गया था ऐसा आर्किटेक्चर के द्वारा बताया जाता है।
इस मंदिर के दीवारों पर हाथी,शेर और अन्य पशु पक्षी बनाये गए है। मंदिर के पूर्व दिशा में एक कुआँ भी है।
लक्ष्मण मंदिर बनाने की खास वजह?
इस मंदिर (LAXMAN MANDIR) को बनाने के पीछे भी खास वजह है,क्योकि जब रानी वासटा देवी जी के पति यानि राजा हर्षगुप्त के साथ विवाह होने के बाद उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम महाशिवगुप्त बालार्जुन रखा गया था।
कुछ समय पश्चात्त राजा हर्षगुप्त की मृत्यु हो जाता है। और अपने पति के याद में ही रानी वासटा देवी ने सिरपुर में लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया था।
लक्ष्मण मंदिर के निर्माण कार्य का प्रारम्भ किसके द्वारा किया गया?
लक्ष्मण मंदिर (LAXMAN MANDIR) का निर्माण कार्य रानी वासटा देवी के द्वारा शुरू कराया गया था।
लक्ष्मण मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण किसके द्वारा किया गया?
इस मंदिर को बनवाने में दो पीढ़ी की जरुरत पड़ी क्योंकि शुरुवात रानी वासटा देवी ने की परन्तु पूरी तरह से निर्माण कार्य महाशिवगुप्त बालार्जुन के द्वारा पूर्ण किया गया।
लक्ष्मण मंदिर किस शैली से निर्मित है?
इस मंदिर (LAXMAN MANDIR) का निर्माण नागर शैली में हुई है। नागर शैली - नागर शब्द " नगर " से बनी है, क्योंकि सर्वप्रथम नगर में निर्माण होने के कारण इसे " नागर " शब्द का निर्माण हुआ।
इस शैली का प्रसार उत्तर में हिमालय से लेकर मध्य में विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। आर्किटेक्चर के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होता है।
विकसित नागर शैली मंदिर में गर्भगृह, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है।
तीन धर्मों का संगम क्यों संगम?
इस समय महाशिवगुप्त बालार्जुन (595-655 ई.) का शासन काल चल रहा था, और ये शैव धर्म को मानते थे परन्तु इन्होने कभी भी बाकि धर्मो को बहिष्कार कभी नहीं किए,बल्कि वो बाकि धर्मों का स्वागत किये इसीलिए इनके समय में बौद्ध धर्म, शैव धर्म, वैष्णव धर्म और जैन धर्म का स्थापत्य आज भी देखे जा सकते हैं -इनके शासन कल में 22 शिव मंदिर,10 बौद्ध विहार , 4 विष्णु मंदिर, 3 जैन विहार का निर्माण हुआ था।इनके समय को छत्तीसगढ़ के इतिहास का स्वर्णकाल कहा जाता है।
कैसे पहुचें लक्ष्मण मंदिर?
लक्ष्मण मंदिर (LAXMAN MANDIR) जाने के लिए आपको बस, ट्रैन,फ्लाइट किसी भी माध्यम से आप जा सकते है -
नजदीक एयरपोर्ट -
स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर
से
दुरी (74 km)
महासमुंद रेलवे स्टेशन से दुरी (49 km)
महासमुंद बस स्टैंड से दुरी (38 km)
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