THE SURROGACY (REGULATION) ACT, 2021
- सरोगेसी (surrogacy) यह एक ऐसा सिस्टम है जो कि बच्चा पैदा करने के लिए एक पति और पत्नी को किसी कारण वश कोई परेशानी हो या खतरा हो तो इस स्थिति में अगर कोई अन्य महिला के परमिशन से उनका बच्चा उस अन्य महिला के गर्भ,पुरुष के स्पर्म को डाला जाता है, और बच्चा 9 महीने तक रहेगा और उसके माँ पापा ही पेरेंट्स होंगे न की वो अन्य महिला जो जन्म दी है।इस कानून का यही उद्देश्य है कि किसी अन्य महिला के उद्देश्य व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाना और परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देना है।
- मानव भ्रूण की बिक्री और खरीद सहित वाणिज्यिक सरोगेसी निषिद्ध होगी और निःसंतान दंपतियों को नैतिक सरोगेसी की शर्तों को पूरा करने पर ही सेरोगेसी की अनुमति दी जाएगी।इस विधेयक के ‘करीबी रिश्तेदारों वाले खंड को हटा दिया गया है तथा अब यह विधेयक किसी ‘इच्छुक महिला को सरोगेट मदर बनने की अनुमति देता है।
- जिससे विधवा और तलाकशुदा महिलाओं के अलावा निःसंतान भारतीय जोड़ों को लाभ प्राप्त होगा।सरोगेट मदर के लिये प्रस्तावित बीमा कवर को पहले के संस्करण में प्रदान किये गए 16 महीनों से बढ़ाकर अब 36 महीने कर दिया गया है।सरोगेसी की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का लिंग चयन नहीं किया जा सकता है।यह विधेयक निःसंतान दंपति के लिये सरोगेसी की प्रक्रिया से पहले आवश्यकता और पात्रता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य बनाता है।
सरोगेसी क्या है-
सरोगेसी (surrogacy) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला और कोई दूसरे कपल या सिंगल पैरेंट के बीच एक प्रस्ताव होता है। आसान शब्दों में कहें तो सरोगेसी का मतलब है किराये की कोख होता है यानि कि जब कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं या फिर वो देना नहीं चाहते तो किसी अन्य महिला की कोख को किराये पर लेकर उसके जरिए से बच्चे को जन्म देना ही सरोगेसी कहलाता है।सरोगेसी कितने प्रकार के होते हैं -
1. ट्रेडिशनल सरोगेसी-
इस विधि (surrogacy) में किराये पर ली गई कोख में पिता (X) का स्पर्म उस महिला(Y) के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में बच्चे का जेनिटक संबंध केवल पिता से होता है,इस विधि में पिता (X) के पत्नी का कोई रोल नहीं होता है ।
2. जेस्टेशनल सरोगेसी-
इस विधि में पिता (X) का स्पर्म और मां (Y) यानि पति और पत्नी के एग्स को मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए सेरोगेट मदर (Z) या दूसरी महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है. इससे जो बच्चा पैदा होता है, उसका जेनेटिक संबंध सिर्फ माँ और पापा से सम्बन्ध होते हैं ।
सरोगेसी कराने के लिए न्यूनतम उम्र कितनी होनी चाहिए-
सरोगेसी (surrogacy) कराने के लिए इच्छुक विवाहित जोड़े जो कि महिला की उम्र हैं 23 से 50 वर्ष की आयु के बीच होने चाहिए। और पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच होने चाहिए। और उस सरोगेट मदर की उम्र 25 से 35 वर्ष की आयु के बीच होने चाहिए जो कि शादीशुदा या विधवा महिला दोंनो में से कोई होने चाहिए।
इसकी जरुरत क्यों है -
सरोगेसी (surrogacy) की जरुरत की बात करें तो ये उन लोगों के लिए बहुत ही जरुरी होगा जिन विवाहित जोड़ों कि किसी कारण वश बच्चा नहीं हो रहा हो या विवाहित महिला को कोई गंभीर बीमारी हो जिसमे उस महिला को प्रेगनेंट होने में जान जाने का खतरा हो।
और यही कारण है कि भारत सरकार भी इसके लिए एक ठोस कानून बना कर भारत के लोगों के लिए जीवन प्रदान किया है। और तो और यह विधेयक सरोगेट मदर के लिये बीमा कवरेज सहित विभिन्न सुरक्षा उपायों का प्रावधान करता है।
कितने खर्च आते हैं -
भारत में सरोगेसी कराने का खर्च (surrogacy cost) करीब 10 से 25 लाख रुपये के बीच आता है, जबकि विदेशों में इसका खर्च करीब 60 लाख रुपये तक आ जाता है। (ये जानकारी इंटरनेट द्वारा लिया गया है। )
सरोगेसी कराना सही या गलत ?
अगर आप सोच रहे है कि ये सरोगेसी करना सही है या नहीं तो उन व्यक्ति से उनके दर्द पूछो जो शादी के कई साल बीत चुके है पर उन्हें किसी कारण उन्हें बच्चा ना हुआ हो तो इसका सही जवाब उन्ही के पास है। क्योकि उनको पता है कि किसी भी तरह से उन्हें बस एक बच्चे मिल जाये और वो अपने आप को जीवन में सफल लेंगे।
और अगर डाउट हो कि डीएनए में किसी तरह प्रॉब्लम होगा तो बिलकुल नहीं होगा वो बच्चा सिर्फ आपका होगा और सरोगेसी मदर (surrogacy mother)के द्वारा सब डॉक्यूमेंट फुल फील किये जाये।
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