Gyanvapi masjid जानिए क्या है मामला ?
हाल में, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की मस्जिद के चारों ओर कानूनी विवाद उत्पन्न हुए हैं। ये विवाद हिंदू समूहों द्वारा आरंभ किए गए हैं, जो यह दावा कर रहे हैं कि जहां ये मस्जिदें खड़ी हैं, वहां वास्तव में हिंदू पूजा के स्थान हैं। आइए इन मस्जिदों के चारों ओर होने वाले कानूनी जटिलताओं को गहराई से समझते हैं।
परिस्थिति-
2022 में, वाराणसी जिला न्यायालय में एक समूह हिन्दू महिला पूजारियों ने एक मुकदमा दायर किया, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में विराजमान देवताओं की पूजा करने का अधिकार दावा किया। उन्होंने गणेश जी, मा श्रृंगार गौरी, और हनुमान जी जैसी देवताओं की पूजा का अधिकार दावा किया। 1991 में भी, एक और मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें न्यायालय से यह घोषणा की गई थी कि ग्यानवापी मस्जिद के क्षेत्र का एक हिस्सा विश्वेश्वर भगवान का है।
कानूनी दावे:
दावेदार यह आरोप लगाते हैं कि एक प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर कभी ग्यानवापी आंगन के केंद्र में था। उन्हें यह दावा करते हैं कि साइट एक "स्वयं प्रकट" दिव्य सत्ता का घर है और कि सम्राट औरंगजेब ने 1669 में मंदिर का निर्माण नष्ट करने का आदेश दिया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मस्जिद के परिसर का एक सर्वेक्षण किया है, जिससे पता चलता है कि मस्जिद के निर्माण से पहले एक मंदिर मौजूद था।
वर्तमान स्थिति:
एएसआई (Archaeological Survey
of India) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय ने हिंदुओं को मस्जिद के एक विशेष क्षेत्र में प्रार्थना करने की अनुमति दी है। हालांकि, इस निर्णय को अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा विरोध किया जा रहा है । मथुरा में, शाही ईदगाह मस्जिद के चारों ओर भी इसी प्रकार के विवाद हैं, जो कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सम्बन्ध हैं।
इनकार और प्रतिआरोप:
मथुरा में मस्जिद कमेटी द्वारा आरोपों का इनकार किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि पर निर्मित नहीं है। कानूनी युद्ध और विपरीत दावों के बावजूद, ये विवाद भारत में धार्मिक भावनाओं और कानूनी ढांचे के बीच जटिल संबंध को प्रकट करते हैं।
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