Bhagwad gita | भागवत गीता के इस 3 पाठ से आपके जीवन बदल जायेंगे

 Friends भागवत गीता के बारे में कौन नहीं जानता,और हमारे देश में ही नहीं अपितु विदेशों में भी भागवत गीता के बारे में अध्ययन किया जाता है ।

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और  आज हम लोग इस भागवत गीता (bhagwad gita) के बारे मे जानेंगे और सीखेंगे। भागवत गीता के मात्र  इस  3 पाठ को अगर अपने जीवन में अमल करते हैं तो सच में जिंदगी के बहुत से परेशानियां खत्म हो सकती है ।

 फ्रेंड्स महाभारत युद्ध के ठीक आरम्भ होने से पहले श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिये थे उसे हम श्रीमद् भागवत गीता के नाम से जानते हैं ।

इनमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है, जो कि आज से  लगभग, 5,560 वर्ष पहले गीता के ज्ञान का जन्म होता है। और यह भागवत गीता महाभारत का एक भाग है जो कि महर्षि वेद व्यास के द्वारा लिखा गया है। 

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1. (अध्याय - 2 के श्लोक नंबर - 47 के अनुसार )

" कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

 मा कर्मफल हेतुर्भूर्मा ते सङ्गो अस्तत्त्वकर्मणि ” 

अर्थात श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तुम्हे अपना कर्म करने का अधिकार जरूर है, परंतु कर्म के फलों के तुम अधिकारी नहीं हो कर्म के फल चाहे जैसे भी हो उसमे तुम अपने आप को कारण मत समझो और तो और तुम्हे कर्म करने में कभी पिछे नहीं हटना है ।

फ्रेंड हम लोग अपने जीवन में हमेशा, सोचते रहते कि ये कार्य शुरु करें या नहीं कार्य करने से पहले हीं Result कि चिन्ता करते रहते हैं,जो कि कहीं ना कहीं गलत है ।

और ये श्लोक भी हमें यही सिखाता हैं कि हमे बिना संकोच के कर्म करना चाहिए, चाहे इसके बीच कोई भी बाधा क्यू ना आ जाए।

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2. डर का सामना, डट् कर-करना चाहिए।

फ्रेंड्स  सबके लाइफ में कुछ ना कुछ प्रोब्लम जरूर आते हैं,और तो दुनिया में  स्थित हर इंसान में कोई ना कोई एक चीज यूनिक जरूर है ,हर इंसान अपने आप में खास है ।

हमलोग एक उदाहरण के जरिए से समझते है- कि जब मो. गोरी के द्वारा, पृथ्वी राज चौहान की आँख फोड़ देने के बावजूद,पृथ्वीराज चौहान ने मो. गोरी को शब्दभेदी बाण चलाकर मार डाला था ।

फ्रेंड्स हम यहाँ से ये सिख सकते हैं कि किस तरह से पृथ्वी राज चौहान के द्वारा यूनिक एबिलिटी का इस्तेमाल करते हुए किस तरह से डर का सामना डट कर किए और इस चीज को हम अपने जीवन में भी अमल करके सक्सेस पा सकते हैं ।

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3. मनुष्यों के जीवन में  इच्छाएँ तो आती है और जाती है,परंतु ये समय के साथ चली भी जाती है ।

 भागवत गीता (bhagwad gita) में श्रीकृष्ण- अर्जुन को समझाते हैं कि इच्छाएं आयेंगे और जाएंगे,परन्तु सब तुम्हारे ऊपर depends करता है कि तुम किस way में ले रहे हो यानी जब हम बचपन में होते हैं ।

और मन करता है कि काश ये खिलौना मेरे पास होता । और जब हम बड़े हो जाते हैं तो इच्छाएँ change भी हो जाती है जैसे कॉलेज में जाने के बाद लगता है कि काश  मेरे पास भी एक बाइक होता या  Scooty होता तो ये सब इच्छाएं ही तो है ।

 लेकिन हाँ इससे सिखने वाली बात ये भी कि इच्छाएँ Negetive है 'या Positive अगर आप गलत रास्ते में चले जाये - तो आप बहुत बुरे फंस सकते हैं जैसे की वो क्यू ना शराब या  नशे की बात ही क्यू ना हो या कोई भी ऐसी आदत जो आपके लिए  इंस्टेंट अच्छा लगे और बाद में वही कोई बड़ी परेशानी का कारण बन जाए तो इन सब से बच कर रहना चाहिए ।

इसी के साथ अंत होता है ये तीसरा पाठ 


आपको ये तीनों में पाठ में से सबसे अच्छी कौन सी लगी। निचे commnts box में जरूर बताये। 

मिलते है एक ऐसे ही इंटरेस्टिंग ब्लॉग में  तब तक के लिए धन्यवाद जयहिंद जयभरत ।


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